Ek Mann (One Psyche)
सवालों में क़ैद-सा,
उलझनों में मुस्तैद-सा,
एक आवारा-सा मन,
उड़ चला परिंदों संग।
ख़ुद पर यूँही बेमतलब इठलाता-सा,
अपनी ही दुनिया में घबराता-सा,
ख़ुद को कभी समेटता और,
कभी यूँही बिखराता-सा।
कभी सपनों के रंग देखकर,
तो कभी उनके टूटने के ढंग देखकर,
ईश्वर के समक्ष सिर झुकाता-सा,
एक मन यूँही बेवजह मुस्कुराता-सा।
Copyright © 2013 Ankita Kashyap
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